Sunday, October 01, 2006

Jai Shankar Prasad: Kamayani: Lajja

Kamayani depicts the interplay of human emotions, thoughts, and actions by taking mythological metaphors. Kamayani has personalities like Manu, Ida and Shraddha who are found in the Vedas. The great deluge described in the poem has its origin in Satapatha Brahmana.

इस अर्पण में कुछ और नहीं केवल उत्सर्ग छलकता है,
मैं दे दूँ और न फिर कुछ लूँ, इतना ही सरल झलकता है।
"क्या कहती हो ठहरो नारी! संकल्प-अश्रु जल से अपने -
तुम दान कर चुकी पहले ही जीवन के सोने-से सपने।
नारी! तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास-रजत-नग पगतल में,
पीयूष-स्रोत बहा करो जीवन के सुंदर समतल में।
देवों की विजय, दानवों की हारों का होता युद्ध रहा,
संघर्ष सदा उर-अंतर में जीवित रह नित्य-विरुद्ध रहा।
आँसू से भींगे अंचल पर मन का सब कुछ रखना होगा -
तुमको अपनी स्मित रेखा से यह संधिपत्र लिखना होगा।"

3 Comments:

At 9:06 AM, Blogger Unknown said...

kya mujhe kamayani ki vyakhya mil sakti hai...mujhe yeh kavita bahut acchi lagti hai

 
At 7:40 AM, Blogger richa said...

Kamayaani ki vyakhya karna meri kabliyat ke bahar hai!

 
At 1:49 AM, Anonymous Anonymous said...

Mujhe kamayaani ki ljja poem ka explanation mil skta h?

 

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